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13 Jan 2018

महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की जीवनी

Amartya Sen Biography in Hindi

महान अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की जीवनी


अर्थव्यवस्था के जनक कहे जाने वाले अमर्त्य सेन भारत के नोबेल पुरस्कारविजेताओं में से एक हैं। अर्थशास्त्र विषय में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हे वर्ष 1998 में यह सम्मान प्रदान किया गया था। इसके बाद वर्ष 1999 में अमर्त्य सेन को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्नसे नवाज़ा गया था।

Amartya Sen


अमर्त्य सेन:- परिचय

नाम:-
 अमर्त्य कुमार सेन
जन्म:- 
 3 नवंबर 1933 शांति निकेतनकोलकताभारत
माता-पिता:-
अमिता सेन-आशुतोष सेन
कार्यक्षेत्र:-
शिक्षाअर्थशास्त्र, लेखक 
राष्ट्रीयता:-
भारतीय
शिक्षा:-
कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीएट्रिनिटी कॉलेजकैंब्रिज से बीए,                          एमएपीएचडी
परिवार:-         
विवाह  अमर्त्य सेन ने तीन विवाह किए:
(1) नवनीता के साथ ( वर्ष 1956) (दो पुत्री – अंतरा सेननंदना सेन)
(2) ईवा के साथ ( वर्ष 1985) (एक पुत्र और एक पुत्री – कबीर सेनइद्राणी सेन)
(3) ऐक्मा रॉथशील के साथ ( वर्ष 1991)

उपलब्धि

i. नोबेल पुरस्कार विजेता(अर्थशास्त्र के क्षेत्र में/1998 में
ii. भारत रत्न विजेता(1999 में)

मर्त्य सेन का प्रारंभिक जीवन


अमर्त्य सेन एक संपन्न व सुशिक्षित बंगाली कायस्थ परिवार में जन्में थे। शांतिनिकेतन(कोलकाता ) नामक स्थान पर जन्में अमर्त्य सेन के नाना क्षितिजमोहन सेन थे , जो रबिन्द्रनाथ टैगोर के करीबी थे। अमर्त्य सेन के पिता ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाते थे। अमर्त्य सेन नें प्रेसीडेंसी कॉलेज में शिक्षा हासिल की। उस के बाद उच्च शिक्षा हेतु वह इंग्लैंड में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज चले गए। वहाँ पर उन्होने वर्ष 1956 में बी॰ ए॰ की डिग्री हासिल की और उसके बाद उन्होने वर्ष 1959 में पी॰ एच॰ डी॰ किया।

अमर्त्य सेन नें अपने मूल विषय अर्थशास्त्र पर लगभग 220 शोध किए हैं। शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत स्वदेश गमन भारत लौटने के बाद अमर्त्य सेन जादवपुर विश्वविद्यालय से जुड़े। वहाँ उन्होने एक अर्थशास्त्र प्राध्यापक की भूमिका अदा की। उसके बाद उन्होने दिल्ली स्कूल ओफ़ इकोनॉमिक्स तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्यापक के तौर पर सेवाएँ दी थी। इनके अलावा वह अलग-अलग विद्यालयों में अतिथि अध्यापक और अर्थशास्त्री विशेषज्ञ के तौर पर जा कर अपना ज्ञान बांटते रहे हैं।

अमर्त्य सेन का अर्थशास्त्री बनना

यह बात वर्ष 1943  की है जब बंगाल में भयंकर आकाल पड़ा था। इस आपदा में कई लोग बेमौत मारे गए। इस त्रासदी के वक्त अमर्त्य सिर्फ दस वर्ष के थे। इस घटना का उन पर बहुत गहरा असर पड़ा था। इसी कारण आगे चल कर उनकी रुचि welfare economics विषय में काफी बढ़ गयी। पहले अर्थशास्त्री प्राय: अधिक लाभ कमाने के उपायों की खोज पर बल दिया करते थे |लेकिन अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र के कल्याणकारी पक्ष की ओर ध्यान दिलाया जो एक नई दिशा थी | इस विषय पर उन्होंने कई पुस्तको की रचना की है | उन्होंने यहा की आर्थिक समस्याओं के समाधान के अनेक उपाय सुझाए है | उनका मानना है कि-
अर्थशास्त्र का संबंध समाज के निर्धन और उपेक्षित लोगों के सुधार से है।

अमर्त्य सेन की उदारता 

वर्ष 1998 मे मिले नोबेल पुरस्कार और पाँच करोड़ रूपये इनामी राशि से अमर्त्य सेन ने एक समाज सेवा ट्रस्ट, जिसका नाम Pratichi-Trust (प्रतीची-ट्रस्ट) है, स्थापित किया। इस ट्रस्ट का मुख्य कार्य भारतीय गरीब विद्यार्थीयों को विदेश में उच्च शिक्षा दिलाने का है।

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